Sunday, 31 August 2025

AI 171 हादसे पर एक मार्क्सवादी नज़रिया

AI 171 हादसे पर एक मार्क्सवादी नज़रिया चीज़ों को समझने के लिए उनकी अंतर्वस्तु तथा अधिरचना के द्वंद्वात्मक संबंध को देखना, और परिवर्तनों को समझने के लिए चीजों तथा परिवेश के अंतर्द्वंद्वों को समझना ही मार्क्सवादी नज़रिया है। हर चीज, जो मानव के व्यवहार को प्रेरित करती है, को पहले मस्तिष्क से गुज़रना होता है, और मस्तिष्क से गुजरने पर वह क्या रूप लेगी यह परिस्थिति पर निर्भर करता है, यही अस्तित्व तथा चेतना का द्वंद्वात्मक संबंध है। समाज व्यक्तियों से नहीं बना होता है बल्कि उन अंतर्संबंधों का समुच्चय होता है जिनके बीच व्यक्ति स्वयं खड़ा होता है। संख्या बल कम होने पर सामूहिक चेतना व्यक्तिगत चेतना के आधीन होती है पर संख्या बल बढ़ने पर इस संबंध में गुणात्मक परिवर्तन हो जाता है और व्यक्तिगत चेतना सामूहिक चेतना के आधीन हो जाती है। जहाँ बुर्जुआ चेतना (पूंजीवाद) में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा अतिरिक्त मूल्य अर्थात मुनाफा बटोरना होता है, वहीं सर्वहारा चेतना (समाजवाद) में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण का उद्देश्य लोगों के जीवन स्तर को सुधारना होता है। AI 171 के हादसे के कारणों को दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है, प्रत्यक्ष - हवाई जहाज़ के उड़ान भरने से लेकर टकराने तक के बीच की परिस्थितियाँ और प्रक्रियाएँ, और अप्रत्यक्ष - भौतिक और वैचारिक परिवेश जिसने प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिस्थितियों तथा प्रक्रियाओं को आधार प्रदान किया। AI 171 के हादसे में मुख्य भूमिका निभाने वाले अत्याधिक क्लिष्ट अवयवों को, दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। निर्जीव - बोइंग कंपनी का ड्रीमलाइनर हवाई जहाज़, तथा, सजीव - पायलट, सहपायलट तथा अन्य कर्मचारी। हादसे की, अलग अलग विशेषज्ञ अपनी अपनी मानसिकता तथा विशिष्टता के अनुरूप, अपनी अपनी व्याख्याएँ मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जो हादसे की परिस्थिति के तथा कारणों के बारे में, आम आदमी को शिक्षित से ज्यादा भ्रमित कर रही हैं। बुर्जुआ चिंतन चीज़ों को टुकड़ों में बांट कर उनकी व्याख्या करता है, जब कि मार्क्सवादी चिंतन, टुकड़ों और समग्र के बीच के द्वंद्वात्मक संबंध के आधार पर चीज़ों की व्याख्या करता है और भ्रमों और पूर्वाग्रहों से निजात दिलाता है क्योंकि वह अंतर्विरोधों की व्याख्या उनके मूल से करता है। आधुनिक पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में उपभोग योग्य वस्तुएँ अनेकों पुर्जों को जोड़ कर हजारों की संख्या में एक साथ बनाई जाती हैं। हर चीज की मूल डिज़ाइन साधारण परिस्थितियों में उसकी उपयोगिता के आधार पर की जाती है और इसी सीमा के अंदर उसका उपयोग किया जाना निर्देशित होता है। फिर अभूतपूर्व परिस्थितियों की आशंका के आधार पर फ़ैक्टर ऑफ सेफ़्टी का गुणा कर उसकी अंतिम डिज़ाइन तय की जाती है जिसके आधार पर उसका उत्पादन किया जाता है। उत्पादन की जाने वाली एक ही श्रेणी की सभी चीज़ें एक सी हों और वे एक दूसरे के स्थान पर उपयोग की जा सकें यह इंटरचेंजिबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए सभी मापों में टॉलरेंस तय की जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से फ़ैक्टर ऑफ सेफ़्टी अधिक होना उचित होता है पर इसके बढ़ने के साथ उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। इसी प्रकार कार्य-निष्पादन तथा सुरक्षा की दृष्टि से टालरेंस कम होना उचित होता है पर इसके साथ ही उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। उत्पाद को उपभोक्ता निर्देशित सीमा के कितने नीचे या ऊपर उपयोग करता है यह उपभोक्ता की, सुरक्षा के प्रति मानसिकता पर निर्भर करता है। वायुयान की उड़ान के लिए आवश्यक बल (लिफ़्ट), हवाई जहाज़ के कुल वज़न, पंखों के क्षेत्रफल, जिनमें एक सीमा के अंदर बदलाव फ्लैप के जरिए किया जा सकता है, तथा हवाई जहाज़ की गति V2 से प्राप्त होता है। टेक ऑफ से पहले वायुयान को हवाईपट्टी पर दौड़कर एक निर्धारित कम-से-कम (minimum) गति V1 हासिल करनी होती है। इस गति के हासिल हो जाने के बाद पायलट उड़ान को रद्द नहीं कर सकता है क्योंकि इस गति पर वायुयान को रोकने के लिए हवाई पट्टी की बाकी लंबाई पर्याप्त नहीं होती है। पायलट इंजन को पूरी अनुमत ताक़त दे कर हवाई जहाज़ की गति लगातार आगे बढ़ाता रहता है। निर्धारित गति Vr हासिल हो जाने के बाद आगे के हिस्से (नोज़) को ऊपर की तरफ उठाया जाता है और पिछले हिस्से को नीचे की तरफ झुकाया जाता है। इसे रोटेशन कहते हैं जो पायलट लीवर के जरिए करता है। रोटेशन के बाद लगातार दौड़ते रह कर हवाई जहाज़ गति V2 प्राप्त करता है और फिर पायलट द्वारा लीवर के जरिए फ्लैप की स्थिति में निर्धारित बदलाव करने पर ज़मीन छोड़ कर हवा पर सवार हो जाता है। हवाई पट्टी की लंबाई का निर्धारण दो चीजों के आधार पर किया जाता है। सभी प्रकार के हवाई जहाज़ों के द्वारा हर प्रकार की परिस्थितियों में V2 हासिल करने के लिए आवश्यक, तथा उतरते समय V2 गति को अधिकतम रिटार्डेशन, जिसे फ्लैप की दिशा में बदलाव कर हवाई अवरोध के द्वारा हासिल किया जाता, के साथ 0 तक लाने के लिए आवश्यक, हवाई पट्टी की लंबाई को फ़ैक्टर ऑफ सेफ़्टी से गुणा कर के। हवाई पट्टी के आगे काफी दूर तक ख़ाली मैदान छोड़ा जाना चाहिए ताकि V1 गति के बाद किसी तकनीकी ख़राबी के कारण अगर हवाई जहाज़ सुरक्षित उड़ान भरने में असफल हो जाता है तो जान माल के कम से कम नुकसान के साथ क्रैश लैंडिंग की जा सके। AI 171 की उड़ान में दुर्घटनाग्रस्त बोइंग कंपनी के अत्याधुनिक हवाई जहाज़ 787 ड्रीमलाइनर में GEnx के दो टर्बोफैन इंजन लगे थे। इस इंजन के चार प्रमुख पार्ट होते हैं, फ़ैन, कंप्रेसर, इग्नीशन चेंबर तथा टर्बाइन। फ़ैन, कंप्रेसर तथा टर्बाइन अत्याधिक तेज़ गति पर चलने के लिए बनी रोटेटिंग मशीन होती हैं और इग्नीशन चेंबर स्थिर भाग होता है। फैन तेज़ गति से हवा को आगे से खींचता है जिसका कुछ भाग कम्प्रेसर में भेजता है और बाकी पीछे की ओर फेंकता है जो हवाईजहाज़ को गति देने में मदद करती है। कम्प्रेसर हवा का दबाव कई गुना बढ़ा कर इग्नीशन चेंबर में भेजता है। इग्नीशन चेंबर भट्टी की तरह होता है जिसमें एक ओर से कम्प्रेस्ड हवा आती है और एक ओर से ईंधन। ईंधन के जलने से अत्याधिक ऊर्जा पैदा होती है जो निकास गैस का तापमान और गतिक उर्जा बढ़ाने में मदद करती है। निकास गैस टर्बाइन से गुज़रते हुए तेज़ गति से जेट के रूप में बाहर निकलती है। टर्बाइन, फ़ैन तथा कम्प्रेसर के अलावा हाइड्रॉलिक उपकरणों तथा जनरेटर को चला कर हवाई जहाज़ के सभी उपकरणों के लिए आवश्यक उर्जा प्रदान करती है। फ़ैन की हवा टर्बाइन के जेट से मिल कर हवाई जहाज़ के उड़ने तथा आगे बढ़ने के लिए आवश्यक थ्रस्ट प्रदान करती है। रोटेटिंग मशीनों की क्षमता निर्धारित गति सीमाओं के बीच ही उचित होती है, सीमा से कम या अधिक होने पर उनकी क्षमता बहुत तेज़ी से घटती है। रोटेटिंग मशीनों की क्षमता वातावरण के तापमान पर भी निर्भर करती है और वातावरण का तापमान बढ़ने के साथ इंजन की थ्रस्ट क्षमता भी तेज़ी के साथ घटती है। इस कारण वातावरण का तापमान एक सीमा से ऊपर होने पर फ़्लाइट को डिले या रद्द करने का नियम है। इंजन के चारों भागों के बीच द्वंद्वात्मक संबंध और सामंजस्य ही हवाई जहाज़ के सुचारू रूप से उड़ने का मूल है जिसके लिए आवश्यक ऊर्जा ईंधन के निरंतर जलने से आती है। निरंतर जलने के लिए हवा तथा ईंधन की मात्रा का अनुपात सीमाओं के बीच होना आवश्यक है। इसके कम या ज्यादा होने पर जलना बंद हो जाता है जिसे फ्लेम आउट कहते हैं। तीनों रोटेटिंग मशीनों की गति की भी न्यूनतम और अधिकतम सीमाएं होती हैं। इंजन को स्टार्ट करने के लिए बैटरी स्टार्टर की जरूरत होती है। आइडलिंग स्पीड हासिल कर लेने के बाद टर्बाइन द्वारा पैदा होने वाली उर्जा इंजन को गति में रखने के लिए काफी होती है उसे बाहरी उर्जा की जरूरत नहीं रह जाती है और वह स्वायत्त हो जाता है। थ्रॉटल द्वारा ईंधन की आमद बढ़ा या घटा कर थ्रस्ट घटाया या बढ़ाया जाता है। अचानक ईंधन की सप्लाई बढ़ने या हवा की आमद कम हो जाने पर पर फ्लेम आउट होने और इंजन के पूरी तरह बंद हो जाने का डर रहता है। पूँजीवादी उत्पादन व्यवस्था में मुनाफा प्राथमिकता होती है। मुनाफे की दर जोखिम के समानुपाती होती है, और सुरक्षा नियमों के साथ समझौता करना भौतिक-सामाजिक-चेतना का अभिन्न अंग बन जाता है। भौतिक-सामाजिक-चेतना, व्यक्तिगत अनभिज्ञ चेतनाओं का समुच्चय होती है। भीड़ नियंत्रण के नियमों के या यातायात के नियमों के उल्लंघन में यह मानसिकता आमजीवन में देखी जा सकती है। उत्पादों के डिज़ाइन में कम से कम फ़ैक्टर आफ सेफ़्टी तथा उत्पादन में अधिक टॉलरेंस इसी मानसिकता का हिस्सा हैं। ड्रीमलाइनर को बहुत ही आधुनिक, कम वज़नी, ईंधन की बचत वाले अपेक्षाकृत सस्ते जहाज़ के रूप में बाजार में उतारा गया था और इसके लिए सप्लायर्स पर भी कीमतों में कटौती करने के लिए दबाव बनाया गया था। पिछले दस सालों में ड्रीमलाइनर के बारे में आई शिकायतें इस बात को दर्शाती हैं कि लागत में कटौती के लिए फ़ैक्टर ऑफ सेफ़्टी तथा टालरेंस के मानकों के साथ समझौता किया गया है। AI 171 की इस उड़ान के बारे में सर्वमान्य तथ्य है कि - उड़ान से पहले हवाई जहाज़ के रख रखाव से संबंधित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया था, - इंजन स्टार्ट होने के बाद हवाईजहाज़ की सुरक्षा प्रणाली ने किसी त्रुटि का संकेत नहीं दिया था, - V1 गति हासिल करने तक पायलट को इंजन की थ्रस्ट क्षमता में किस कमी का कोई संकेत नहीं मिला था, - Vr गति हासिल करने पर भी पायलट को थ्रस्ट क्षमता में कमी का कोई संकेत नहीं मिला था, - रोटेशन के बाद V2 हासिल करने के लिए पूरे रनवे का इस्तेमाल भी इस हवाई जहाज़ के लिए असामान्य नहीं था, टेकआफ लीवर को उठाने के बाद सब कुछ अचानक असामान्य हो गया था, हवा में लगभग 650 फ़ीट उठने के बाद जहाज़ का उठना बंद हो गया था, लैंडिंग गियर बंद नहीं हुआ था, रेट टर्बाइन खुल गई थी, हवाईजहाज़ धीरे धीरे नीचे आने लगा था और लगभग 30 सेकेंड के अंदर हॉस्टल की छत से टकरा गया था। पायलट लगभग 5 सेकेंड का मे डे काल दे पाया था और उसका कंट्रोल टावर से संपर्क टूट गया था। सुरक्षा कारणों से मे डे कॉल का आधिकारिक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है पर मीडिया में प्रचलित है - “ मे डे मे डे, नो पावर, नो थ्रस्ट, गोइंग डाउन”। AI 171 लंबी दूरी की उड़ान थी और पूरी तरह भरी हुई थी। जाहिर है हवाई जहाज़ का कुल वज़न निर्दिष्ट अधिकतम सीमा के आस पास रहा होगा। V2 हासिल करने के लिए पूरी हवाई पट्टी का इस्तेमाल इस बात की पुष्टि करता है। टेक ऑफ तथा लैंडिंग के लिए पायलट अधिकतम निर्दिष्ट थ्रॉटल के साथ टर्बाइन को अधिकतम गति पर चलाता है जो टर्बाइन की डिज़ाइन पर निर्भर करती है। अहमदाबाद में उस समय, दर्शाया गया, तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आस पास था। पायलट तथा कंट्रोल टावर का आंकलन रहा होगा कि हवाई जहाज़ के कुल वज़न, इंजन के डिज़ाइन पैरामीटर्स तथा मौसम को ध्यान में रखते हुए, इंजन के पास सफल उड़ान के लिए पर्याप्त थ्रस्ट पैदा करने की क्षमता है और इस कारण उड़ान के लिए अनुमति दे दी गई होगी। द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत जन-चेतना में इतनी अच्छी तरह घर कर चुका है कि उसका विरोध यदा-कदा ही होता हो। पर उससे सहमत होना एक बात है लेकिन उसको जीवन के हर आयाम में लागू करना बिल्कुल ही अलग बात है। कोई भी व्यक्ति जो जीवन के हर आयाम में द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत का उपयोग करता है (यही मार्क्सवादी होना है), आसानी से समझ सकता है कि अनेकों छोटी छोटी नगण्य गलतियां भी एकसाथ मिलकर (मात्रात्मक परिवर्तन) एक घातक ग़लती (गुणात्मक परिवर्तन) को जन्म दे सकती हैं। कंट्रोल टावर के तापमान तथा हवाई जहाज़ के आसपास के तापमान में फर्क होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हवाई जहाज़ के रख-रखाव तथा उत्पादन में मानकों में अनुमत छूट के साथ अनेकों स्तर पर किये गये समझौतों की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। अगर इन संभावनाओं को नजरंदाज कर तथा कंट्रोल टावर में मापे गये तापमान को सही मान कर, इंजन के अधिकतम अनुमत थ्रस्ट के आधार पर, उड़ान की अनुमति दी गई थी, और अगर वायुयान के पास वास्तविक तापमान कुछ डिग्री भी अधिक रहा हो तो इंजन की क्षमता में बहुत अधिक गिरावट हो सकती है। एक बार एक राज्य में राजकीय उत्सव के लिए दूध की जरूरत थी। राजा ने एक बहुत बड़ा बर्तन रखवा दिया और मुनादी करवा दी कि रात को हर नागरिक बर्तन में एक लोटा दूध डालेगा। हर नागरिक ने सोचा कि बाकी सब तो दूध डालेंगे ही, और अगर मैं दूध की जगह एक लोटा पानी डाल कर पैसे बचा लूँ तो किसी को क्या पता लगेगा। सुबह देखा गया तो पाया गया कि बर्तन में केवल पानी ही था। मुनाफे के लिए, सुरक्षा मानकों के साथ समझौता करना पूँजीवादी चेतना का एक अभिन्न अंग है और हर व्यक्ति की अनभिज्ञ चेतना इसी पूँजीवादी चेतना के वशीभूत होती है। बोइंग का ड्रीमलाइनर, इसी चेतना के वशीभूत, पूरी सप्लाई चेन में हर स्तर पर कम से कम फ़ैक्टर ऑफ सेफ़्टी तथा अधिक से अधिक टॉलरेंस के साथ बनाया गया है, जो साधारण आम परिस्थितियों में अत्याधिक सफल है, पर विपरीत परिस्थिति में सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर देता है। ड्रीमलाइनर के अलग अलग हिस्सों के, अलग अलग समय पर, अलग अलग परिस्थितियों में विफल होने की शिकायतें आती रही हैं। जाँच में हर विफलता के लिए पृथक पृथक उपकरणों की ख़राबी को, या परिचालन नियमों की अवहेलना को, या फिर कर्मचारियों की ग़लती को ज़िम्मेदार मानकर सुरक्षा जाँच पूरी ली गई, पर संयुक्त रूप से वायुयान की तथा उसके उपकरणों की डिज़ाइन तथा निर्माण प्रक्रिया की गहन जाँच, कई बार की अनुशंसा के बावजूद, कभी नहीं की गई। कुछ साल पहले जापान में लैंडिंग के समय ड्रीमलाइनर के दोनों रौल्स रॉयल इंजन एक साथ बंद हो गये थे। उसमें जान माल की कोई हानि नहीं हुई थी इसलिए मामले ने तूल नहीं पकड़ा और उसकी ज़िम्मेवारी सॉफ़्टवेयर के मॉलफंक्शन को उत्तरदायी ठहरा कर मामले को बिना किसी अनुशंसा के बंद कर दिया गया। बोईंग ने ड्रीमलाइनर की साख बचाने के लिए मीडिया और रिपोर्टरों पर लाखों डॉलर खर्च किये हैं। AI 171 की उड़ान दुर्घटना, जिसमें ड्रीमलाइनर के दोनों इंजनों ने टेकऑफ के बाद एकसाथ काम करना बंद कर दिया था, के कारणों के बारे में मेरा विश्लेषण है कि - - उडा़न के समय विमान का कुल वज़न अधिकतम अनुमत सीमा से कम नहीं था, - उड़ान के समय विमान के पास की हवा का तापमान अधिकतम अनुमत सीमा से कम नहीं था, - उड़ान के पहले कंट्रोल टावर तथा पायलट को अंदेशा नहीं था कि परिस्थितियों के कारण इंजन निर्दिष्ट क्षमता से कम ताक़त पैदा कर रहा होगा, और फ़ैन तथा कम्प्रेसर हवा के आमद की निम्नतम सीमा पर काम कर रहे होंगे, - वायुयान ने पूरे रनवे का इस्तेमाल किया था जो इस बात को दर्शाता है कि रोटेशन के बाद इंजन की क्षमता तथा पावर में कुछ ह्रास हुआ होगा, और अगर V2 निर्दिष्ट से कम भी रही होगी तो भी पायलट के पास टेकऑफ के अलावा कोई विकल्प नहीं था। - ऊपर की सभी परिस्थितियों के तथा फैक्टर ऑफ सेफ़्टी के अनुरूप टेकऑफ से पहले फ़ैन, कम्प्रेसर तथा टर्बाइन की गति नाज़ुक सीमा रेखा पर रहे होंगे जिसका ठीक ठीक अनुमान कर पाना किसी भी पायलट के लिए असंभव है और उस क्षण टेकऑफ रद्द करने का विकल्प भी नहीं होता है। - टेक ऑफ की प्रक्रिया शुरू होते ही अचानक भार बढ़ने से टर्बाइन की गति और उसके साथ ही फ़ैन की गति कम होने से हवा की आमद भी अचानक कम हो गई होगी। हवा की आमद कम होने के कारण कम्प्रेसर में सर्ज की स्थिति भी पैदा हो गई होगी और इग्नीशन चेंबर को हवा न मिलने से ज्वाला समाप्त हो गई होगी। यह सब कुछ एक क्षण में, एक साथ दोनों इंजन में हुआ होगा क्योंकि दोनों के लिए परिस्थितियाँ एक सी थीं, और इसके साथ ही वायुयान को पावर मिलना बंद हो गया था जो पायलट के मे डे कॉल से स्पष्ट है। रेट टर्बाइन का खुलना भी यही दर्शाता है, पर वायुयान की रफ़्तार इतनी कम थी कि वह भी पावर पैदा नहीं कर सकती थी। लैंडिंग गियर का बंद न हो पाना भी दर्शाता है कि हवाई जहाज़ को बिल्कुल भी पावर उपलब्ध नहीं थी। अगर उपर्युक्त विश्लेषण सही है और फ्लाईट डेटा रिकॉर्डर में भी यह बात निकल कर सामने आती है कि टेकऑफ के समय हवाई जहाज़, सुरक्षित टेक ऑफ के लिए निर्दिष्ट V2 हासिल नहीं कर पाया था, तो भी क्या सुरक्षा जाँच विशेषज्ञ इसके कारणों को रेखांकित कर पायेंगे ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना को होने से रोका जा सके? शायद नहीं। 17 जनवरी 2019 को, ओसाका हवाई अड्डे पर उतरते समय एएनए के बोईंग 787 ड्रीमलाइनर के दोनों इंजन के बंद होने की दुर्घटना के कारणों को भी सुरक्षा जाँच विशेषज्ञ रेखांकित नहीं कर पाये थे। पर दुर्घटना के कारणों को मूल से समझना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटना को टाला जा सके। दुर्घटना का कारण पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की उस भौतिक-सामाजिक-चेतना में निहित है जो मुनाफा बढ़ाने के लिए सुरक्षा मानदंडों के साथ समझौता करने के लिए प्रेरित करती है। हवाई जहाज़ के उत्पादन में और परिचालन में, सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में और दुर्घटना की जाँच करने में लगे सभी कर्मचारियों की अनभिज्ञ चेतना उसी भौतिक-सामाजिक-चेतना के नियंत्रण में होती है। कोई भी व्यक्ति जो इस व्यवस्था के सहयोग से अपने अस्तित्व तथा सुख सुविधा के साधन जुटाता है, उसकी अनभिज्ञ चेतना उसी भौतिक-सामाजिक-चेतना का अंश होती है और उसके नकारात्मक पहलू को देखने में असफल रहती है। अस्तित्व तथा चेतना का यही द्वंद्वात्मक संबंध है। इस दुर्घटना के कारणों को भी सुरक्षा जाँच विशेषज्ञ रेखांकित नहीं कर पायेंगे। अगर इस विश्लेषण को सही माना जाये, तो हवाई जहाज़ के कुल भार तथा वातावरण के तापमान की अधिकतम सीमा को कुछ कम पर सीमित कर दोनों इंजनों के इस प्रकार एक साथ बंद होने की स्थिति से बचा जा सकता है। (वामपंथी साथियों से आग्रह है कि इस विश्लेषण की कमियों पर अपनी तार्किक टिप्पणी अवश्य साझा करें ताकि मैं भी उन्हें समझ सकूँ) सुरेश श्रीवास्तव 7 जुलाई, 2025

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